लॉकडाउन के बाद स्कूलें तो खुली, लेकिन बच्चों पर रखें पैनी नज़र !
झारखंड: धनबाद के सिंदरी डिनोबली स्कूल में एक छात्र की मौत उनके ही सहपाठियों द्वारा मारपीट किये जाने के बाद हो गई. हालांकि यह घटना करीब दो सप्ताह पहले की है. बताया जाता है कि 15 वर्षीय अस्मित आकाश दसवीं कक्षा का छात्र था. स्कूल के कक्षा में तीन सहपाठियों ने उनके साथ मारपीट किया, जिससे अस्मित की मौत हो गई. अस्मित के पिता ने बताया कि स्कूल में उनके बेटे के साथ कई दिनों से झगड़ा किया जा रहा था. बहरहाल यह तो पुलिसिया जांच का विषय है.. अस्मित तो इस दुनियां में अब नहीं रहें… लेकिन हमें इस घटना को गंभीरता से लेने की जरूरत है…
The Wajood@Desk
इस घटना ने कई सवालों को भी जन्म दिया है…
जिस वक्त अस्मित के साथ मारपीट की जा रही थी. उस वक्त क्लास टीचर, स्कूल प्रबंधन कहां थी ? अगर स्कूल में पहले से अस्मित के साथ झगड़ा किया जा रहा था, तो स्कूल प्रबंधन को इसकी जानकारी थी या नहीं ? तीन बच्चे सामूहिक रूप इख्तियार कर अस्मित को क्यों मार रहें थें ? बच्चों में इस तरह की भावना कैसे पैदा हुई ? क्या ऐसे स्कूलों में अनुशासन की घोर कमी नहीं है ? अगर अस्मित के पिता को इसकी जानकारी पूर्व से थी, तो उन्होंने इसकी शिकायत किनसे की ? इस तरह के कई सवाल हैं, जो स्कूल प्रशासन के क्रियाकलापों को उजागर करता है..
स्कूली बच्चों पर अभिभावक और स्कूल प्रबंधन रखें पैनी नजर !
कोरोनाकाला के बाद स्कूलों का संचालन एक लंबे समय के बाद सामान्य हो पाया है. लेकिन स्कूलों में बच्चों के पठन-पाठन, रहन-सहन, रोजमर्रा का व्यवहार में हुए परिवर्तन से भी इंकार नहीं किया जा सकता. दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद स्कूलों में बच्चों का प्रवेश तो हुआ है. लेकिन बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव हुए है. जानकारों की मानें तो स्कूल बंद रहनेे के दौरान 50 फिसद बच्चों में अलग ही बदलाव हुए है. ऑनलाईन पढ़ाई में मोबाइल, लैपटॉप जैसे उपकरणों के उपयोग किये जाने से कई बच्चों पर इसका विपरित परिणाम सामने आयें है. कोरोनाकाल में बच्चे अहिंसक बने रहें ऐसा भी नहीं हुआ है. ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा भी मोबाइलों का गलत उपयोग किये जाने की बातें सुनने को मिलती रही है. जिस कारण बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन हुआ है. जरूरत है, ऐसे बच्चों पर अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन पैनी नजर रखें…
बच्चों में अनुशासन और उत्तम चरित्र निर्माण आवश्यक
Quality Education के साथ-साथ आज के इस दौर में बच्चों में अनुशासन और उत्तम चरित्र का निर्माण होना अतिआवश्यक है. नैतिकता, अनुशासन और उत्तम चरित्र निर्माण अगर बच्चों में न हो, तो बेहतर अंक प्राप्त करने वाले बच्चों का होना या न होना कोई फर्क नहीं पढ़ता. इस हाईटेक युग में छोटे-छोटे बच्चों की मानसिकता में अलग सा बदलाव देखने को मिल रहा है. जो करीब दो दशक पूर्व देखने को नहीं मिला करता था. आये दिन सोशल मीडिया, न्यूज पेपर, टीवी चैनलों में टीन ऐजर्स बच्चों की भयावह घटना कारित किये जाने की खबरें मिलती रही है. जरूरत है हमें अपने बच्चों को अनुशासन प्रिय, उत्तम चरित्र बनाने की ओर अग्रसारित करें. बच्चों को बेहतर बनाने में माता-पिता, अभिभवकों और शिक्षक-शिक्षिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. हम अपने दायित्वों, कर्तव्यों को ईमानदारी के साथ निर्वहन करें..पैसों के पीछे न भागकर, बच्चों के उज्जवल भविष्य की ओर ध्यान दें…वरना उस दौर का हमें आदत बनानी पड़ेगी. जो भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संवदेनात्मक और सामाजिक विचारों से कोसो दूर होंगे.