मां….मां सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि दुनियां की अद्वितीय शक्ति है. इस शब्द की गहराई और विशालता को परिभाषित करना इतना आसान नहीं, क्योंकि इसी शब्द में ही पूरी कायनात यानि सृष्टि की उत्पत्ति का रहस्य समाया है..
TW@Desk
झारखंड : भारतीय संस्कृति में जननी एवं जन्मभूमि दोनों को ही मां का स्थान दिया गया है. मां करूणा का सागर है. मां है तो हम हैं. मां की ममता के तले बच्चों का लालन-पालन होता है. एक मां ही तो है, जिनका प्यार बगैर कोई शर्त, असीम, स्थायी और निस्वार्थ होता है. इसीलिए पूरी दुनियां में मां से बढ़कर कोई नहीं…
पर मां अगर अपने बच्चे को जन्म दे और किसी सुनसान इलाके में जिंदा और तन्हा छोड़ दे…तो ऐसे में उस मां को आप क्या कहियेगा. जी हां कुछ ऐसा ही मामला झारखंड के मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र के सुग्गापहाड़ी मोहली टोला के पास की बताई जा रही है. राजदाहा-सुग्गापहाड़ी स्थित एक पहाड़ी के निकट झाड़ी के पास एक नवजात शिशु जिंदा अवस्था में पड़ा मिला. बताया जाता है कि नवजात बच्ची को अहले सुबह झाड़ी के पास एक बोरी के चट और शॉल से ढंक छोड़ दिया. सुबह में कुछ ग्रामीणों को नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनाई दी, तो लोगों की भीड़ जुटने लगी. नन्हीं सी बच्ची को देख लोग उस मां को कोसते नजर आयें, जिसने जन्म तो दिया, पर मां शब्द को कंलित कर दिया. हालांकि नवजात शिशु को किसने जन्म दिया और कौन लाकर झाड़ी में छोड़ गया… यह जांच का विषय है.
नवजात शिशु को फिलहाल देवघर स्थित अनाथ आश्रम में रखा गया है…
लेकिन इसी मोहली टोला गांव में एक मां ऐसी भी थी, जिसने उस बच्चे को गोद लेने का मन बना लिया. लेकिन बताया जाता है कि कानूनी प्रक्रिया के कारण उस नवजात शिशु को फिलहाल देवघर स्थित अनाथ आश्रम में रखा गया है. जहुर लाल मोहली की पत्नी बच्ची को रखना चाहती है, क्योंकि दंपत्ति से इन्हें बच्चा नहीं हुआ है. लेकिन इस मां की ममता उसे किसी भी हाल में अपने पास रखना चाहती है. वहीं दूसरी ओर एक मां ऐसी जो शिशु को जन्म देने के बाद अपने से दूर करते हुए रसातल की ओर ढकेल दिया… सुनसान इलाके में झाड़ियों के बीच छोड़ गया… गलिमत थी कि किसी जंगली जानवर की नजर बच्ची पर नहीं पड़ी, वरना अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता.