विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ की गुफा में करीब 90 वर्षों से सांख्य योग साधना की परंपरा
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मधुपुर का कापिल मठ, प्राचीन ऋषि परमश्री कपिल मुनि के आदर्श आधारित है. बावनबीघा स्थित सांख्य योग के विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ की गुफा में करीब 90 वर्षों से सांख्य योग साधना की परंपरा चली आ रही है. स्वामी हरिहरानंद आरण्य, स्वामी धर्ममेध आरण्य के बाद करीब 37 वर्षों से स्वामी भाष्कर आरण्य गुफा में साधनारत है. मधुपुर में कापिल मठ की स्थापना सन् 1926 में स्वामी हरिहरानंद अरण्य द्वारा की गई, कापिल मठ दुनियां का एकमात्र मठ है जो सक्रिय रूप से सांख्य दर्शन सिखाता है.
सांख्य योग आधारित यहां की पुस्तकें करीब 75 देषों में पढ़ा जाता है…
स्वामी हरिहरानंद आरण्य द्वारा रचित पुस्तक पंतजलि का योग दर्शन, योग सूत्रों पर सबसे प्रमाणिक माना जाता है, यही वजह है कि सांख्य योग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में पढ़े और समझे जाते हैं. कापिल मठ में एक कृत्रिम गुफा है, जहां परंपरा के अनुसार स्वामी हरिहरानंद आरण्य एवं स्वामी धर्ममेध आरण्य योग साधना में विलिन रहे, जिनकी समाधि कापिल मठ परिसर में ही है. बताया जाता है कि सांख्य योग आधारित यहां की पुस्तकें करीब 75 देषों में पढ़ा जाता है. सांख्य योग्य में साधनारत स्वामी भाष्कर आरण्य समय समय पर अपने शिष्यों को दर्शन देते हैं.
20 दिसम्बर से 22 दिसम्बर तक वार्षिकोत्सव की तैयारी है…
अष्टांग योग यानि आठ स्टेप्स वाले योग… से जुड़े पुस्तक में साफ तौर पर बताया गया कि समाधि कैसे प्राप्त होता है ओर योग के माध्यम से किस प्रकार साधना किया जाता है. इन सब की जानकारी पतंजलि योग दर्शन में देखा जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि सांख्य योग की चर्चा महाभारत में भी है. पृथ्वी में 25 तत्व हैं, जो महात्मा होते है, उन्हें साधना के लिए बाहरी ऑबजैक्ट की जरूरत नहीं होती, स्वयं के अंदर छिपे तत्वों में योग साधना करते हैं. प्रत्यक वर्ष तीन दिनों तक उत्सव के रूप में कापिल मठ में देश – विदेशों से लोग एकत्रित होते हैं, इस वर्ष भी 20 दिसम्बर से 22 दिसम्बर तक वार्षिकोत्सव की तैयारी है, जहां स्वामी भास्कर आरण्य के दर्शन को लेकर अनुयायईयों की भीड़ जुटेगी.