मधुपुर का क्वार्ट्ज क्रिस्टल पत्थर को मिली थी, अव्वल दर्जे का पुरस्कार !
मधुपुर का क्वार्ट्ज क्रिस्टल पत्थर को मिली थी, अव्वल दर्जे का पुरस्कार !
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भूगर्भ से निकले सफेद पत्थरों और काले-सफेद अबरखों का यह पहाड़नूमा विशालकाय चट्टान प्रकृति की सुंदरता को और भी निखारने में लगे है. यह चट्टान मामूली चट्टान नहीं बल्कि कांच जैसी चमकली पत्थरों वाली चट्टान है. इस विहंगम चट्टान का एक छोर सफेद पत्थरों की है तो दूसरा छोर काले-सफेद अबरखों वाला है. चट्टान का उपरी परत करीब 30 से 40 फीट सफेद पत्थरों का है जबकि दूसरा परत काले चट्टानों का प्रतीत होता है.
बताया जाता है कि झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत मधुपुर, मागरगोमुंडा, करौं जैसे इलाकों के लोग दशकों पूर्व पत्थरों के व्यवसाय से जुड़े हुए थे। यहां के पत्थर उस जमाने में कलकत्ता जाया करते थे। इग्नू के शैक्षणिक परामर्शदाता एवं शोद्य निदेशक डॉ कैलाश प्रसाद राउत बताते हैं कि पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में लगे राष्ट्रीय स्तर पर पत्थरों के प्रदर्शनी में मधुपुर के चमकीली पत्थर को अव्वल दर्जा का पत्थर होने का खिताब दिया गया था। प्रदर्शनी में फेल्सपर एंड क्वार्ट्ज पत्थर को लगाया गया था, जहां क्वार्ट्ज पत्थर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान मिला था.
साठ के दशक में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में आयोजित हुई थी प्रदर्शनी
मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र के मारगोमुंडा का दोर्ही गांव में स्थित बंद पड़े वर्षों पुराने इस खदान के सफेद पत्थर और अबरखों का चट्टान आज भी गवाह बने हुए है। कहा जाता है कि साठ के दशक में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में आयोजित हुई प्रदर्शनी में यहां के पत्थर अपनी चमकीली और दुधिया रंग होने के कारण अव्वल स्थान हासिल किया था. आज भी यह विशालकाय चट्टान भूगर्भ शास्त्रियों के लिए शोद्य का विषय है। अबरख, सफेद पत्थर, काले पत्थर और कोयले के कारोबार के लिए इस इलाके में अवसर को तलाशा जा सकता है.